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फक़त चाँद-तारों के पीछे पड़े हैं, हमीं सबसे उम्दा

फक़त चाँद-तारों के पीछे पड़े हैं,
हमीं सबसे उम्दा  हमीं तो बड़े हैं, 

ज़रूरत जुटाने में  मशग़ूल इतने, 
जहाँ से चले थे  वहीं  पर खड़े हैं,

नहीं कोई हमसे बड़ा इस जहाँ में,
"मेरी बात मानो" इसी पर अड़े हैं,

मेरा  इष्ट  तेरी  रज़ा  से  है  बेहतर, 
जहालत में कितनी दफ़ा लड़ मरे हैं,

ज़रा मुड़ के देखो ज़हन से विचारो, 
तेरे  दिल  में  हरिहर सदा ही हरे हैं,

सुख-शांति जिनको मिला है हृदय में,
वही जीते जी  भव से सचमुच तरे हैं,

रहे भाव निर्मल  तो 'गुंजन'  स्वयं में,
परम शांति  सुख के  ख़ज़ाने भरे हैं,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #वहीं पर खड़े हैं#
फक़त चाँद-तारों के पीछे पड़े हैं,
हमीं सबसे उम्दा  हमीं तो बड़े हैं, 

ज़रूरत जुटाने में  मशग़ूल इतने, 
जहाँ से चले थे  वहीं  पर खड़े हैं,

नहीं कोई हमसे बड़ा इस जहाँ में,
"मेरी बात मानो" इसी पर अड़े हैं,

मेरा  इष्ट  तेरी  रज़ा  से  है  बेहतर, 
जहालत में कितनी दफ़ा लड़ मरे हैं,

ज़रा मुड़ के देखो ज़हन से विचारो, 
तेरे  दिल  में  हरिहर सदा ही हरे हैं,

सुख-शांति जिनको मिला है हृदय में,
वही जीते जी  भव से सचमुच तरे हैं,

रहे भाव निर्मल  तो 'गुंजन'  स्वयं में,
परम शांति  सुख के  ख़ज़ाने भरे हैं,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #वहीं पर खड़े हैं#