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कई रंग की है मेरी ख़्वाब- ए- महफ़िल पर तू ही चटख औ

कई रंग की है
मेरी ख़्वाब- ए- महफ़िल
पर तू ही चटख
और बाकी है फ़िका
तनिक में ही राज़ी
तनिक में मुकरना
मुनासिब नहीं जान तेरा तरीका
नफासत तुम्हारी चलो मान लें हम
मिला हुस्न आला तो जायज़ दिवाला
पर ......
मुहब्बत भी रुख़ में 
और है बेरुखी भी
नुस्खा नया ये कहां से निकाला। #नुस्खा नया ये कहां से निकाला
कई रंग की है
मेरी ख़्वाब- ए- महफ़िल
पर तू ही चटख
और बाकी है फ़िका
तनिक में ही राज़ी
तनिक में मुकरना
मुनासिब नहीं जान तेरा तरीका
नफासत तुम्हारी चलो मान लें हम
मिला हुस्न आला तो जायज़ दिवाला
पर ......
मुहब्बत भी रुख़ में 
और है बेरुखी भी
नुस्खा नया ये कहां से निकाला। #नुस्खा नया ये कहां से निकाला