ग़ज़ल ______________________ सनम बेरुखी तो दिखाते नहीं हम तुम्हारी तरह गम सुनाते नहीं हम //१// कि जो हाल दिल का है तूने बनाया सनम ऐसी उल्फत निभाते नहीं हम //२// हमारी है फितरत फकत इश्क़ करना अदू पर भी उंगली उठाते नहीं हम //३// हवा नफरतों की चले चाहे जितनी चरागे मुहब्बत बुझाते नहीं हम //४// है इस्लाम ने ये दिया दर्स हम को सो गैरों का दिल भी दुखाते नहीं हम //५// गमें हिज्र में जो बहाएं हम आंसू तो कुलजुम् रवां हो, बहाते नहीं हम //६// हवादिस की आंधी में जो टूट जाएं शजर बाग़ में वह लगाते नहीं हम //७// दुआ साथ रहतीं हैं मां की हमारे कि मुश्किल में भी डगमगाते नहीं हम //८// कि ख्वाब ए लहद और मर्गे तसव्वुर खुशी में भी रह, मुस्कुराते नहीं हम //९// ये अरशद करे क्या अदावत किसी से किसी को भी दिल से लगाते नहीं हम //१०// स्वरचित ✍️ #अरशद अंसारी के कलम से ©® mohammadarshad17338@gmail.com Arshad Ansari Fatehpur Aboo nagar