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झूठ फ़रेब के थे पैमाने, बंद पड़ी हैं सभी दुकानें

झूठ फ़रेब के  थे पैमाने, 
बंद पड़ी हैं सभी दुकानें, 

खट्टे  थे  अंगूर  बताकर, 
धृष्ट  लोमड़ी  मारे  ताने,

छल प्रपंच का लिया सहारा,
बनते  फिरते  बड़े सयाने,

कौन विकल्प बनेगा सोचो,
अंधों  के  हैं  राजा  काने,

मक्कारी  मंजूर नहीं अब, 
राष्ट्रप्रेम  के   हम  दीवाने,

कूड़ा कचरा मुक्त शहर हो, 
करो सफाई  लगा ठिकाने,

मान बड़ाई सबका 'गुंजन', 
नेकी का फल रब ही जाने,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #राष्ट्रप्रेम के हम दीवाने#
झूठ फ़रेब के  थे पैमाने, 
बंद पड़ी हैं सभी दुकानें, 

खट्टे  थे  अंगूर  बताकर, 
धृष्ट  लोमड़ी  मारे  ताने,

छल प्रपंच का लिया सहारा,
बनते  फिरते  बड़े सयाने,

कौन विकल्प बनेगा सोचो,
अंधों  के  हैं  राजा  काने,

मक्कारी  मंजूर नहीं अब, 
राष्ट्रप्रेम  के   हम  दीवाने,

कूड़ा कचरा मुक्त शहर हो, 
करो सफाई  लगा ठिकाने,

मान बड़ाई सबका 'गुंजन', 
नेकी का फल रब ही जाने,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #राष्ट्रप्रेम के हम दीवाने#