जीते जी तो शिकवा और गिला ही मिलता है इन सब से छुटकारा तो कबर में ही मिलता है जैसे रेत पर लकीरें कभी रहती नहीं आबाद वैसे ही कौन रखता है याद मर जाने के बाद ©Gian munkan wala ज़िन्दगी के रंग