उड़ाओ चाहे झुकाओ मुझे तुम कितना भी कहीं मस्ती में मस्त रहूँगा हमेशा तुम्हारी संग यहीं कहीं प्रार्थना तुमसे बस मेरी इतनी सी छोड़ देना भले तोड़ना न कभी हमेशा बंधी रहेगी डोर उम्मीद की जाने कब दया हो जाये तुम्हारी खींच लो डोर मेरी ©Mahadev Son महादेव तुझ संग लगी मेरी प्रीत रे #Maha_shivratri