"हर बार ऐतबार करके" --/-- सुलझ सुलझ के, उलछे है इश्क़ में, रात दिन अब, चैन की फिराक में, खुदा और खुद से भी दूर हुए, गलतिया वही बार बार करके, हर बार ऐतबार करके, वादा वफ़ा का करना, पर वफ़ा न करना, गुणधर्म है हुस्न का, और पतंगे का, जल के मर जाना, गलतिया वही बार बार करके, हर बार ऐतबार करके, ठगा गया, छला गया दर दर मैं, तेरे रहते तेरे शहर में मैं, बदल के शहर भी कहा जाते, जहाँ जाते, इश्क़ कर आते, गलतिया वही बार बार करके, हर बार ऐतबार करके, रचना-पवन गलतिया वही बार बार करके हर बार ऐतबार करके #RDV19 ##IITKAVYANJALI #Right2write ##IITKIRDAAR About Nojoto