सूरज की तपी हुई प्रचण्ड किरणों को पीकर तलैया तो सूख चुकी है और एक दुर्गन्धित कीचड़ सनी दलदल का निर्माण भी ही चुका. है इसके बावजूद भूमिगत कमल क़े बीज अभी भी जीवंत है जो उस दलदल की तलहटी मे से सर अपना उठाने की कोशिश भी कर रहे है और लगता है अब कमल क़े फूलों का प्रस्फुटन भी शीग्र ही होने वाला है और दलदल की कीचड़ को गौरान्वित होने का और सुवासमय अहसास और अवसर भी मिलने वाला है #कीचड़ मे खिला कमल...।....