तुझमें समाई मां हूं तुझमें ही समाई, हूं अभिन्न मैं अंग तेरा तुझसे ही मै जुड़ी हूं, मेरी सांस तुझमें समाई। है बहुत तू मुझे प्यार करती, फिर क्यों है दुनिया से छिपाई? क्यों किसी की परवाह करती, जब आत्मा तुझमें ही समाई। जब कभी खुश तू होती, मैं भी भीतर ही उछलती दिल की खुशी तुझसे जुड़ी है, धड़कन मेरी तुझमें समाई। जब कभी तू दुख से रोती, मैं भी भीतर चुप सी होती तेरी नज़रे आंख मेरी, जिंदगी मेरी तुझमें समाई। मां जी चुकी बहुत मै भीतर, अब जीना है साथ तेरे तेरे हंसी के संग ठहाके, अब रोना भी साथ तेरे मां बाहर मुझको है आना, अपनो के संग है जीना मां मुझे ना मार यू तू, मुझको भी है जीवन जीना मां बचा ले मुझे तू, गम नहीं बेटी का होना दे दे मुझे जीवन दान तू, साथ दूंगी हर पल तेरा मां यहां है घना अंधेरा, जीवन से पहले मौत घेरा मां क्यों तूने आश छोड़ा, खत्म होने हो है अस्तित्व मेरा #hindi #poetry #beti