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ना जिस्म की चाह, ना किसी को पाने की आश, ना ही हो


ना जिस्म की चाह,
ना किसी को पाने की आश,
ना ही हो मुलाकात की तमन्ना,
ऐसा होता है पाकीज़ा इश्क़। 

मन में होती है ना पाने की आश,
होती है तो सिर्फ अपने प्यार को,
किसी भी हालत में खुश देखना ही,
पाकीज़ा इश्क़ का मतलब समर्पण की भावना।

रहते हैं दोनों किरदार एक दूसरे से दूर,
लेकिन फिर भी दिल से तो, 
होते हैं बेहद ही करीब,
क्युकी दोनों के बीच होता है,
बेइंतेहा पाकीज़ा इश्क़।

टिकता है यह रिश्ता ताउम्र,
क्योंकि एक दूसरे को नहीं होती है अपेक्षा,
ना ही होते है कोई गिले शिकवे, 
पाकीज़ा इश्क़ तो होता है एक पवित्र प्रेम, 
जो दो प्रेमी आँखों के सहारे ही कर लेते हैं। 

-Nitesh Prajapati 
 ♥️ Challenge-974 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

ना जिस्म की चाह,
ना किसी को पाने की आश,
ना ही हो मुलाकात की तमन्ना,
ऐसा होता है पाकीज़ा इश्क़। 

मन में होती है ना पाने की आश,
होती है तो सिर्फ अपने प्यार को,
किसी भी हालत में खुश देखना ही,
पाकीज़ा इश्क़ का मतलब समर्पण की भावना।

रहते हैं दोनों किरदार एक दूसरे से दूर,
लेकिन फिर भी दिल से तो, 
होते हैं बेहद ही करीब,
क्युकी दोनों के बीच होता है,
बेइंतेहा पाकीज़ा इश्क़।

टिकता है यह रिश्ता ताउम्र,
क्योंकि एक दूसरे को नहीं होती है अपेक्षा,
ना ही होते है कोई गिले शिकवे, 
पाकीज़ा इश्क़ तो होता है एक पवित्र प्रेम, 
जो दो प्रेमी आँखों के सहारे ही कर लेते हैं। 

-Nitesh Prajapati 
 ♥️ Challenge-974 #collabwithकोराकाग़ज़

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