सियासत है इसकदर उसके लहज़े में, मैंने तो इसलिए बात करनी छोड़ दी । उस दोस्त का भोलापन देखो ,मोहब्बत न हो जाए कहीं इसलिए दोस्ती तोड़ दी ।। किस कदर और कितना रहा उसका मुझ पर करम शबे-तारीक में न पुंछ । जीने की हर ख्वाहिश छीन ली उसने और मेरी जिंदगी, जिंदगी की तरफ मोड़ दी।। कल ही एक कली खिली थी मेरे घर के आंगन में जमाने को रास नहीं आई । कांटों में घसीटा उसको तरस जरा भी नहीं खाया और आखिर में गर्दन मरोड़ दी।। बेवजह बेफजूल गुमान पाले हैं लोग कि मुल्क आज़ाद है। घर की चहारदीवारी में एक बोलने लड़की ने क़ैद होकर संस्कारों में दम तोड़ दी ।। कहते हैं जिसे मोहब्बत उसे समाज, धर्मवाद और जातिवाद ने घेर रक्खा दोस्त का भोलापन तो देखो मोहब्बत न हो जाए कहीं इसलिए दोस्ती तोड़ दी #कलम_से_प्रीति