Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं अंजुरी भर स्नेह अश्रु, हथेली भर स्पर्श , टुकड


मैं अंजुरी भर स्नेह अश्रु,
हथेली भर स्पर्श ,
टुकड़ा भर मुस्कान चाहती थी ..


परंतु नियति मुझे यह भी न दे सकी ! 


दुख मेरी चौखट पर आंखें गड़ाए खड़े थे ..
प्रेम मेरे लिए अपने किवाड़ कभी नहीं खोलेगा
वे इस बात से अवगत थे। 


मीनाक्षी

©Meenakshi 
  #srijanaatma