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Meenakshi
एक स्त्री अपनी कलाई से घिसा हुआ आस्था का धागा सालों तक नहीं उतारती ... (जो लाल रंग से अब बेरंग हो चला है ) क्योंकि उसका प्रेम इबादत है ! एक लड़का भगवान की तस्वीर की जगह अपनी प्रियतमा का रूमाल बटुए में दबाए रखता है, क्योंकि प्रेयसी की याद का वह टुकड़ा ही है जो उसके पास है ..! एक लड़की गले में चांद का लॉकेट पहने रखती है .. और कहती है "यह मेरा मंगलसूत्र है ", क्योंकि चांद ही उसका मेहबूब है ..! प्रेम ऐसा ही होता है ... आग की दरियाओं से बेखौफ़ टकरा जाने वाले प्रेमी नाज़ुक रेशम के धागों में, स्वेच्छा से , ताउम्र बंधे रहते हैं .. मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma #सृजनात्मा
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एक-एक बूंद कर ख़ाली हो रही हैं आंखें .. एक-एक बूंद कर भरते जाते हैं दिल ! भरे हुए दिल चाहते हैं ख़ाली आंखों में सच होता एक सपना.. ख़ाली आंखें चाहती हैं सपने देखने वाला इक दिल ! मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma #सृजनात्मा
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मीलों दूर किसी दूसरे शहर में बैठे तुम कभी दूर प्रतीत नहीं हुए , क्योंकि हमारे हृदय जो एक दूसरे के पास थे ..। और आज जब अपने समक्ष खड़ा देख रही हूं तुम्हें, तो हाथ बढ़ाकर तुम्हें छू लेने की चाह तक बाकी नहीं है मुझमें ..! "मीलों की दूरी से कहीं बड़ी होती है पगों की दूरी .. और पगों की दूरी से कहीं पहले हो जाते हैं हृदय दूर "- तुम्हारी आंखों में जमा बैठा बेगानापन , अंतिम पत्र की तरह , यह पढ़ कर सुना रहा है मुझे..! "यह कैसा छलावा है जिसका भान नहीं पड़ता!" मैं पूछती हूं .. "कोई संकेत , कोई चेतावनी गर मिलती मुझे तो मैं यह अनर्थ होने से रोक लेती शायद .. समय रहते बांध लेती तुम्हारा हृदय कस कर .. अपने पास ... यकीन मानों.. दूर जाते पगों की आहट पहचानती हूं मैं ..! मगर.. दूर होते हृदय कोई आवाज़ भी तो नहीं करते ! " मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma
Meenakshi
अपूर्णता के विकट सन्नाटे चोट करते रहे निरंतर कानों पर .. कि घाव छाले बन उग आए आत्मा पर । तुम्हारे पैरों तले अविरल बहती है मेरे अश्रुओं की नदी और तुम नंगे पैर चलते जाते हो उस पर जैसे कोई चिकना पुल हो जो तुम्हारे पांव भीगने नहीं देता ! अपनी चुप्पी पढ़ लेने की चाह बांधे बैठी हूं मैं मन्नत के धागे में .. उस निष्ठुर से जो निरंतर दोहराए जाने पर भी अपना नाम न सुन सका ! एक ही दिशा में चलते - चलते थक कर जड़ हुई मैं कि दसों दिशाओं में से एक ही दिशा मेरी, जिसके दिग्पाल थे तुम ...। मैंने जिसमें शिव खोजा वह 'अनंत' था दरअसल... 'अधो' दिशा का .. उसकी दृष्टि तो कभी पड़ी ही नहीं मेरे नगण्य मार्ग पर ! अभागिन भी इतनी कि प्रार्थनाओं के अर्घ्य भी कोई अन्य स्थान न पा सके , वे अपने ही दुखों की नदी में अर्पित किए गए! न प्रार्थनाएं फलित हुईं, न अश्रु ... दोनों ही तुमसे अछूते रहे । मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma
Meenakshi
जीवन के सामान्य रिश्ते पक्की कोलतार की सड़कों पर दौड़ते-भागते , तपते - झुलसते ...वहीं अपना दम तोड़ देते हैं। इन रिश्तों का संचालन गणित करता है ... केवल गणित ... ! किसने, कितने किलोमीटर, कितनी रफ़्तार से तय किए ? कौन , कितनी जल्दी आगे बढ़ गया व कौन पीछे छूट गया ... ? बस इतने से गणित में ही उम्र गुज़ार लेते हैं ऐसे रिश्ते । जीवन में ऐसे बहुत कम रिश्ते होते हैं जो कच्चे रास्तों पर जन्म लेते हैं । वे उन्ही कच्चे रास्तों पर धीमे धीमे पकते हैं ... ये चंद रिश्ते ...धूप - छांव चुनने के रिश्ते होते हैं .... धूप में साथ चलते - चलते रुक कर पेड़ की छांव में सुस्ताने के रिश्ते होते हैं... अपनी एक एक श्वास को महसूस करने के रिश्ते होते हैं .. अक्सर सड़क पर चलता इंसान कच्चे रास्ते पर चलते इंसान को अपनी ओर खींचता है । बल्ब की तेज़ रोशनी दिखाता है , सौंधी धूप को कोसता है । अक्सर कच्चे रास्ते पर चलता आदमी सड़क का रुख़ कर लेता है .... वह गुनगुनी धूप , पेड़ों की नर्म छांव , हथेलियों का कोमल स्पर्श , मिट्टी की सौंधी महक , प्रेम का स्पर्श .... सब कुछ छोड़ कर चल देता है किलोमीटरों की रेस में ... भागते - दौड़ते एक दिन झुलस कर कोलतार बन जाता है और पक्की सड़क में मिल जाता है । कच्चे रास्ते ख़ाली रह जाते हैं... हृदय अछूता ही रह जाता है ... मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma
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प्रेम किसी को साधारण रहने नहीं देता ! प्रत्येक प्रेमी पाता है , दूसरों से कहीं ज़्यादा विशाल हृदय .. मीनाक्षी ©Meenakshi #Life #srijanaatma
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जल ने मेरे तन का साथ छोड़ दिया है , मेरी आत्मा में खारापन भर गया है , मैं नमक का पुतला हो गई हूं । प्रत्येक पीड़ा मुझसे मेरे हिस्से का जल छीनती गई ; प्रत्येक दुख मुझसे मेरे तन का मांस नोंच ले गया ; प्रत्येक दुत्कार मुझसे मेरे हिस्से की हंसी ले गई... मैं लंबे अरसे तक प्रेम की चौखट पर आस का दीपक जलाए खड़ी रही.. मैं अंजुरी भर स्नेह अश्रु, हथेली भर स्पर्श , टुकड़ा भर मुस्कान चाहती थी .. परंतु नियति मुझे यह भी न दे सकी ! दुख मेरी चौखट पर आंखें गड़ाए खड़े थे .. प्रेम मेरे लिए अपने किवाड़ कभी नहीं खोलेगा वे इस बात से अवगत थे। ©Meenakshi #srijanaatma
Meenakshi
मैं अंजुरी भर स्नेह अश्रु, हथेली भर स्पर्श , टुकड़ा भर मुस्कान चाहती थी .. परंतु नियति मुझे यह भी न दे सकी ! दुख मेरी चौखट पर आंखें गड़ाए खड़े थे .. प्रेम मेरे लिए अपने किवाड़ कभी नहीं खोलेगा वे इस बात से अवगत थे। मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma
Meenakshi
जिन उंगलियों से चुनने थे मुझे अक्षत आराधना के , उन उंगलियों पर आ जमा है स्पर्श तुम्हारा .. ओस सा ..! सूर्य उदय होते ही जो (ओस) हवा हो जायेगा .. हाय! कैसा उपहास है प्रेम का! मेरी अंजुरी रही पर्याप्त पंचामृत अभिषेक के लिए , परंतु नहीं समाहित हुए उनमें - साधना का मौन , प्रार्थनाओं की दीर्घता , समर्पण की उदारता ! जो दिख रहा है जीवन सा : क्षणभंगुर ओस .. प्रेम के अर्थ से मीलों दूर खड़ा निष्ठुर जीवन भी काश ! हो जाता क्षण भर का । मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma
Meenakshi
"जीवन कठोर है " , तुम कहते थे .. "प्रेम कोमल " , मैं कहा करती थी । "दुनिया शोर है " , तुम कहते थे ... "तुम सुकून " , मैं कहा करती थी । "तपती धूप हैं दिन" , तुम कहते ... "तुम घना साया" , मैं कहती । "तुम शांत ठंडी रात सी " .....तुम कहते थे "उसपर चांद हो तुम " ....मैं कहा करती थी । "और जान हो तुम .." तुम कहते थे .. मीनाक्षी ©Meenakshi #srijanaatma