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Meenakshi

Meenakshi

एक-एक बूंद कर ख़ाली हो रही हैं आंखें ..
एक-एक बूंद कर भरते जाते हैं दिल ! 

भरे हुए दिल चाहते हैं ख़ाली आंखों में सच होता एक सपना..
ख़ाली आंखें चाहती हैं सपने देखने वाला इक दिल ! 

मीनाक्षी

©Meenakshi #srijanaatma #सृजनात्मा

Meenakshi

Meenakshi

Meenakshi

गुनगुने , हल्के ख़ुशी के पलों का रंग फ़ीका होता है । वे रंग नहीं पाते अंतस की भारी दीवारों को । 
पीड़ाओं के पल गहरे रंग लिये , तीक्ष्ण ताप के होते हैं । 
दो लोग बंधे हुए किसी पीड़ा से , एक साथ दुखाग्नि में पिघलते हैं और बची नहीं रहती उनकी मेढ़।  वे दो ढहे हुए मकानों से हो जाते हैं , जिनकी ईंटें एक दूसरे की परिधि में गिरी मिलती हैं- पहचान करना असंभव होता है कि कौन सी ईंट किस मकान की थी ।

सुखों की डोर रेशम से बनी होती है , कब हाथ से फिसल जाये आभास नहीं होता ...
वे दुख ही हैं जो जानते हैं कठोरता से बाँधे रखना। 
प्रेम भी कोमल कहाँ !!
प्रेम की तासीर कठोर है । 
वे दुख ही हैं जिनमें प्रेम साँसें लेता है ।  

मीनाक्षी

©Meenakshi #सृजनात्मा 
#srijanaatma

Meenakshi

कवि से न पूछो कभी
उसकी कविता का अर्थ। 
वह नहीं बता पायेगा  
किन भावों के जोड़ से बने कौन से शब्द !
कौनसी पीड़ा ने ली कैसी शक्ल?

किस पंक्ति में कौन सी शाम दबी हो ?
कौनसी चीख़ कब निकली हो  ?
याद नहीं कवि को अब । 

एक माँ से पूछोगे कि 
गर्भ में उसने जीवन कैसे बनाया,
तो क्या बतला पायेगी वह तुम्हें ? 

माँ ने बस ख़ून दिया अपना।
जान देकर निकाली जान ख़ुद में से। 

न जाने कितनी बार मरा कवि भी तो ,
कविता को जन्म देते देते...
मत पूछो उससे उसकी कविता की रासायनिक संरचना, 
नहीं बता पायेगा वह ....
उसने बस ख़ून दिया है  
जान देकर
 निकाली जान है ख़ुद में से।

©Meenakshi #सृजनात्मा 
#srijanaatma

Meenakshi

टुकड़ों में सरकता है दिन 

छाती पर लादे कोलाहल 
जिस्म रेंगता है,
खड़ी दुपहरी सन्नाटा खर्राटे भरता है-
कच्ची नींद रो देती है ..।

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अंधेरा होता है जब,
बिस्तर का रुख़ करती हूँ -
पड़ा मिलता है ढेर चादर पर
भुरभुराये तन का ,
पहले से ही ..

बिस्तर तक पहुँचने में देर हो चुकी होती है !
मैं घट चुकी होती हूँ,
बीते पहर ही ।
पूरी होने से पहले ही रात
खट चुकी होती हूँ ।

ख़ुद तक पहुँचती हूँ जब तलक,
बहुत देर हो चुकी होती है । 



मीनाक्षी

©Meenakshi #सृजनात्मा 
#srijanaatma

Meenakshi

लेखिका: अंकिता आनंद #podcast #firstpodcast #podcasts #srijanaatma #सृजनात्मा साहित्य की ओर एक पहल 🌻

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Meenakshi

#सृजनात्मा

©Meenakshi #सृजनात्मा

Meenakshi

मैं वह वृक्ष हूँ जिसकी डाल पर से तुम अपनी पहली उड़ान भरोगे।

आकाश भर में विचरते , 
समस्त जगत घूमोगे ..
तितलियों संग खेलोगे , 
फूलों का स्वाद चखोगे ..

फिर एक दिन तुम्हारे पंख थक कर चूर हो जायेंगे 
और तुम चाहोगे थम जाना..
वहाँ जहाँ केवल सुकून हो ...

उस दिन घोंसला बनाने को ...
तुम मुड़ोगे उसी रास्ते
जो तुम्हें मुझ तक वापस लायेगा ।

©Meenakshi #सृजनात्मा 
#srijanaatma 
#प्रेम
#आत्मा 
#विश्वास
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