....... #NojotoQuote आज मेरा हारना इतना आसान होता, कटघरे के बाहर तो बिकता मेरा ईमान होता, सल्तनत की दावत में मय कब नहीं होती, कभी सूखे जिस्म में लहू भी आम होता। दर्द तो बहती हवा की खामोशी मे भी मौजूद है, काश बिन मौसम आई फुहार का चर्चा भी आम होता, दरख़्त में वक्त के घर बनाए हैं सब ने