चढती धूप में छांव सी हो... अंधेरे में उजाले के भाव सी हो.... आँचल तले तूने हमको संवारा है... हमारा हर दुख तुम्हे ना गंवारा है... कभी छांव कभी धूप सी हो... कभी देवी तो कभी नूर सी हो... अपने बलिदान से तूने हमको संवारा है... हमारी खुशी का एक तू ही सहारा है..... तू मेरी ज़िंदगी की पहली गुरु... मेरी ज़िंदगी तुझसे ही शुरू..... कांटे भरे इस जीवन मे तू फूल सी है.... हर मुसीबत के लिए तू शूल सी है.... तेरे उपकारों का बदला हम कभी ना चुका पायंगे... बस हाथ जोड़ कर तेरे चरणों में झुक जायँगे..... #आशीष# #NojotoQuote maa ke liye poem