हावी होता जब मनमानी, चलती है तब खींचातानी, सवा शेर जो मिल जाए तो, याद दिला दे सबको नानी, लेता है मन मोह सभी का, सदा बोलिए मीठी वाणी, भोग से पहले त्याग जरूरी, सुख-सुविधा है रोग निशानी, ख़ुद खाये खैरात खुदा का, दुनिया कहती उसको दानी, पशु-पक्षी सब प्रेम समझते, बतला गए संत,मुनि,ज्ञानी, जनता के वारिस हो 'गुंजन', कहते खुद को राजा-रानी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #हावी होता जब मनमानी#