खुली जुल्फों में गूँजा ये शोर अत्र आफताबी मिलकियत का इश्रत में डूबा पुरजोर ! हाथों की मेहंदी महकी इस ओर नजारे आफताबी सल्तनत के कयामत ढाते चहुँ ओर ! काजल लहका छोड़ पलकों की कोर काफ़िया आफताबी गजल का भूल गया देख आँखों के मिलन का तौर ! अत्र-सुगंध इश्रत-आनंद #love #surajaaftabi #zindagi #lovequotes #life #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan