एक खता एक गिला है ज़िन्दगी, अब तू जैसी भी है बेवजह है ज़िन्दगी, सब ग़म भूल एक दफा़ मुस्कुरा भी लूं, तू इतनी भी नहीं बेवफ़ा है ज़िन्दगी, ग़म आता तो मां के आंचल में छुप जाते, खुशी आती तो सब साथ झूम कर मनाते, अब तो आंसू का ही हिसाब है ज़िन्दगी, मुझे लगता है तू एक किताब है ज़िन्दगी, सुकून का ना बचा कोई जवाब है ज़िन्दगी, ये बैचैनिया खाती मुझे बेहिसाब है ज़िन्दगी, मां होती तो गोद में जी भर के रोते, तूने तो ख़त्म की है ख़्वाब-ए-ज़िन्दगी। एक खता एक गिला है ज़िन्दगी, अब तू जैसी भी है बेवजह है ज़िन्दगी, सब ग़म भूल एक दफा़ मुस्कुरा भी लूं, तू इतनी भी नहीं बेवफ़ा है ज़िन्दगी, ग़म आता तो मां के आंचल में छुप जाते, खुशी आती तो सब साथ झूम कर मनाते,