#देह देह से या दो दिन की कितणा गुमान करें ले यो ज़माना ढूंढ ने से ना मिले हरि अब तो छाण लिया यो समाणा कह लखमीचंद कितणी बार हृदय मै से हरि का ठिकाणा जीणा मरणा फल कर्मों का कुछ ना है यो मिलणा-मिलाणा धूल थी धूल होना पड़ै राख थी और राख का ए बाणा प्रवीण माटी ©parveen mati #देह देह से या दो दिन की कितणा गुमान करें ले यो ज़माना ढूंढ ने से ना मिले हरि अब तो छाण लिया यो समाणा कह लखमीचंद कितणी बार हृदय मै से हरि का ठिकाणा