वाह रे क्या था बचपन तेरा क्या थी तेरी मस्त जवानी कभी यशोदा मैया की सखिया कभी गोपिया हुई दीवानी हम भी इस दीवनेपन में झूम रहे सुन धुन मुरली की कैसे कह दे समय बीत गया तेरा बदल रहा यहाँ काल भी पल पल सुन तेरी धुन मुरली की। अब के सारे कान्हा दीवाने गोपियां सारी दीवानी हैं इनमे अब कोई रस ना बचा सब बेढंगे मन मानी हैं महाभारत अब यहां रोज है होते ना कोई इनमे मूल कहानी है ना कान्हा जैसा बचपन है ना अभिमन्यु सी जवानी है मेरे गीत