दुःख से बोझिल सभी यहाँ हैं हम फिर कहाँ अकेले हैं मन में घोर एकाकीपन है बाहर- बाहर मेले हैं दूर दूर से भली भलाई पास रहो दुखदाई है सुख हो दुःख हो, अच्छा या बुरा जीवन में क्या स्थायी है? ©Rohit Kumar(R.K) दुःख से बोझिल सभी यहाँ हैं हम फिर कहाँ अकेले हैं मन में घोर #एकाकीपन है बाहर- बाहर मेले हैं दूर दूर से भली भलाई पास रहो दुखदाई है सुख हो दुःख हो, अच्छा या बुरा जीवन में क्या स्थायी है? #findingyourself