यादों का सिलसिला, आज फिर से गुजर रहा है मेरे दिल को छू के, तेरे इश्क का नज़राना, आज फिर से ताजा हुआ ज़हन मे। क्या वह दिन थे क्या वो राते थी, समा भी परवाना था, और मेरा दिल भी बेगाना हो गया था, इश्क की धुन सवार हम पे, और माहौल भी खुशनुमा बना था। सुबह का सूरज तेरी झलक से ही निखरता था, शाम की चाय भी तेरे संग, और रात की गुफ़्तगू भी तेरे संग, दिन भी तुझसे ही शुरू और तुझसे ही ख़त्म होता था। वक़्त ने ली ऐसी करवत की, जीते जी हम यादों की कैद में गिरफ़्तार हो गए, ना चाहकर भी हाथ से फिसल गया लम्हा, और हो गया मे अकेला। आधी जिंदगी उसके साथ गुजारी, अब आधी जिंदगी उसको याद करके गुजारेंगे, मेरी जिंदगी का हसीन लम्हा चला गया, और रह गया पीछे यादो का सिलसिला। ♥️ Challenge-820 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।