ये शाम सुहानी, समुन्द्र की गूँज, पानी की वो लहरे टकराती, खडको के संग, मिलन की वो घड़ी हमारी, और मदहोश करता ये समा। बड़ा अरसा गुजरने के बाद, अगर एक मिलन की घड़ी आए, तो फिर सोने पर सुहागा जैसे, दूर से देखे उसकी एक झलक, और आँखों को मिली जैसे ठंडक, पास आकर उसका यू गले लगाना, जैसे मिलती है गर्माहट उसके सच्चे प्यार की, उसका वो नजदीक बैठ कर गुफ़्तगू करना, जैसे दिल को लगे उसकी मीठी बोली सुनता ही रहूँ सदा। उसका हाथ मेरे हाथ में रखकर, जैसे दिलासे के स्वरूप में, एक वादा देना जिंदगी भर साथ निभाने का, लगता है जैसे अपना भी कोई है। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-788 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।