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-------!! सोच लो रात भर !!------- सोच लो रात भ

-------!! सोच लो रात भर !!-------

सोच  लो  रात  भर, दर  पे  बैठा रहूंगा।
कर रहा  हूँ मोहब्बत, मैं  करता  रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
हूँ  अधूरा तेरे बिन,अब  न पूरा है कुछ।
साथ चल  ही रहा हूँ, मैं  चलता रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
आंख भर  आती है, दिल  ये बेचैन  है।
रो  रहा   हूँ  तेरे  बिन, मै  रोता  रहूंगा।।
                    सोच लो रात भर.....।।
जो गली तेरा रस्ता है,तू गुजरे जहाँ से।
यूँ मील के पत्थरों सा,मैं तकता रहूँगा।। 
                     सोच लो रात भर.....।।
बात  मानो  न मानो, है कुछ  गम नही।
मेरी आदत मनाने की,मैं मनाता रहूँगा।।
                     सोच लो रात भर.....।।
खाली दिल  हो रहा, मन रहा है मचल।
तू  यूँ  सुने  न  सुने , मैं  सुनाता  रहूँगा।। 
                      सोच लो रात भर.....।।
"राज" हूँ  राज रक्खूगा  मैं तेरी बात को।
सब  तुम्ही से कहा हूँ, मैं  कहता  रहूँगा।।
                       सोच लो रात भर.....।।
अब  तो सोचो भला, कुछ  मेरे बात को।
तू  बात होठों पे ला, मैं  समझता रहूँगा।।
                       सोच लो रात भर.....।।
सोच  लो  रात भर, दर  पे  बैठा  रहूँगा।
कर  रहा  हूँ  मोहब्बत, मैं  करता रहूँगा।।
✍राजेश कुमार कुशवाहा "राज"

©राजेश कुशवाहा -------!! सोच लो रात भर !!-------

सोच  लो  रात  भर, दर  पे  बैठा रहूंगा।
कर रहा  हूँ मोहब्बत, मैं  करता  रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
हूँ  अधूरा तेरे बिन,अब  न पूरा है कुछ।
साथ चल  ही रहा हूँ, मैं  चलता रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
-------!! सोच लो रात भर !!-------

सोच  लो  रात  भर, दर  पे  बैठा रहूंगा।
कर रहा  हूँ मोहब्बत, मैं  करता  रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
हूँ  अधूरा तेरे बिन,अब  न पूरा है कुछ।
साथ चल  ही रहा हूँ, मैं  चलता रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
आंख भर  आती है, दिल  ये बेचैन  है।
रो  रहा   हूँ  तेरे  बिन, मै  रोता  रहूंगा।।
                    सोच लो रात भर.....।।
जो गली तेरा रस्ता है,तू गुजरे जहाँ से।
यूँ मील के पत्थरों सा,मैं तकता रहूँगा।। 
                     सोच लो रात भर.....।।
बात  मानो  न मानो, है कुछ  गम नही।
मेरी आदत मनाने की,मैं मनाता रहूँगा।।
                     सोच लो रात भर.....।।
खाली दिल  हो रहा, मन रहा है मचल।
तू  यूँ  सुने  न  सुने , मैं  सुनाता  रहूँगा।। 
                      सोच लो रात भर.....।।
"राज" हूँ  राज रक्खूगा  मैं तेरी बात को।
सब  तुम्ही से कहा हूँ, मैं  कहता  रहूँगा।।
                       सोच लो रात भर.....।।
अब  तो सोचो भला, कुछ  मेरे बात को।
तू  बात होठों पे ला, मैं  समझता रहूँगा।।
                       सोच लो रात भर.....।।
सोच  लो  रात भर, दर  पे  बैठा  रहूँगा।
कर  रहा  हूँ  मोहब्बत, मैं  करता रहूँगा।।
✍राजेश कुमार कुशवाहा "राज"

©राजेश कुशवाहा -------!! सोच लो रात भर !!-------

सोच  लो  रात  भर, दर  पे  बैठा रहूंगा।
कर रहा  हूँ मोहब्बत, मैं  करता  रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।
हूँ  अधूरा तेरे बिन,अब  न पूरा है कुछ।
साथ चल  ही रहा हूँ, मैं  चलता रहूंगा।।
                   सोच लो रात भर.....।।