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अलख जगा ********** जाग-जाग तू अलख जगा चढ़ हिमतुंग,

अलख जगा
**********
जाग-जाग तू अलख जगा
चढ़ हिमतुंग, बन ज्वार कभी
बन ज्वाला तू धधक-धधक
मरुभूमि सा तू लहक कभी
तू धीर ना बन,तू भीरू ना बन
तू भाग भाग, तू जलध बना

तू स्वेत श्याम बादल बन जा
कभी खूब निखर, वर्षा बरसा
तू दूर क्षितिज छू उड़-उड़ कर
तू घुमड़-घुमड़, बिजली छटका
तू मुड़ ना कभी,तू झुक ना कभी
तू बेग प्रचंड आंधी बन जा

धिक्कार स्वयं का सीमित मान
तू हासिल कर नित दिव्य ज्ञान
कर दिनकर को मुट्ठी में बंद
तू काल बन,ना हो बेग मंद
कर निज का अब तू, शांति भंग
जल चटख-चटख,बन अग्नि अंग
हुंकार कर,चीत्कार कर
निज में ऊर्जा भरमार कर
हासिल है,तुमको प्राण पुंज
विस्तृत कर अब विश्राम ना कर
तू जाग-जाग तू अलख जगा.....

दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़"" #piano #अलख जगा
अलख जगा
**********
जाग-जाग तू अलख जगा
चढ़ हिमतुंग, बन ज्वार कभी
बन ज्वाला तू धधक-धधक
मरुभूमि सा तू लहक कभी
तू धीर ना बन,तू भीरू ना बन
तू भाग भाग, तू जलध बना

तू स्वेत श्याम बादल बन जा
कभी खूब निखर, वर्षा बरसा
तू दूर क्षितिज छू उड़-उड़ कर
तू घुमड़-घुमड़, बिजली छटका
तू मुड़ ना कभी,तू झुक ना कभी
तू बेग प्रचंड आंधी बन जा

धिक्कार स्वयं का सीमित मान
तू हासिल कर नित दिव्य ज्ञान
कर दिनकर को मुट्ठी में बंद
तू काल बन,ना हो बेग मंद
कर निज का अब तू, शांति भंग
जल चटख-चटख,बन अग्नि अंग
हुंकार कर,चीत्कार कर
निज में ऊर्जा भरमार कर
हासिल है,तुमको प्राण पुंज
विस्तृत कर अब विश्राम ना कर
तू जाग-जाग तू अलख जगा.....

दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़"" #piano #अलख जगा