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मुझे कौन समझेगा मैं बेटा, पिता और मर्द हूं, यही स

मुझे कौन समझेगा

मैं बेटा, पिता और मर्द हूं,
यही सोच कर सब सहूँ,
मुझे कौन समझेगा इस समाज में,
पुरुष हूं इसीलिए निर्लज आज में,
किसी को समझा पाऊं सामर्थ्य नहीं,
मन हृदय सब खंडित है व्यर्थ ही,
मेरे विचार से कोई सहमत नही है,
कुछ बोल भी दूं विचार एकमत नहीं है,
मैं किस बात का खुद से मोल करूं,
यही सोच कर सब सहूँ।

क्रोध मुझमें भी है यकीन करो,
प्रेम हो तो ही मेरा साथ भरो,
चोट केवल तुम्हे नही लगती है,
छाती मेरी भी कहीं धधकती है,
तुम मेरी सुनोगे तब मेरे बनोगे,
समझौता खुद से कब तक करोगे,
हर बार मैं ही टूटता हूं रिश्ते संवारना है,
खुद की चोट खुद ही बहारना है,
कमी मुझमें तो इल्जाम कैसे कहूं,
यही सोच कर सब सहूँ। मुझे कौन समझेगा
#yqbhaskar #yqsamjh #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqrestzone #yqhindi #yqlove #yqthoughts
मुझे कौन समझेगा

मैं बेटा, पिता और मर्द हूं,
यही सोच कर सब सहूँ,
मुझे कौन समझेगा इस समाज में,
पुरुष हूं इसीलिए निर्लज आज में,
किसी को समझा पाऊं सामर्थ्य नहीं,
मन हृदय सब खंडित है व्यर्थ ही,
मेरे विचार से कोई सहमत नही है,
कुछ बोल भी दूं विचार एकमत नहीं है,
मैं किस बात का खुद से मोल करूं,
यही सोच कर सब सहूँ।

क्रोध मुझमें भी है यकीन करो,
प्रेम हो तो ही मेरा साथ भरो,
चोट केवल तुम्हे नही लगती है,
छाती मेरी भी कहीं धधकती है,
तुम मेरी सुनोगे तब मेरे बनोगे,
समझौता खुद से कब तक करोगे,
हर बार मैं ही टूटता हूं रिश्ते संवारना है,
खुद की चोट खुद ही बहारना है,
कमी मुझमें तो इल्जाम कैसे कहूं,
यही सोच कर सब सहूँ। मुझे कौन समझेगा
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sbhaskar7100

S. Bhaskar

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