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याद आया वह गुजरा जमाना, जिसमें पढ़ते थे वह स्कूल प

याद आया वह गुजरा जमाना,
जिसमें पढ़ते थे वह स्कूल पुराना।।
याद है वह पल-पल दोस्तों के संग बिताना,
कभी प्यार तो कभी गुस्सा दिखाना।।
किसी बात पर शर्माना,
फिर रूठना और मानना।।
वो मंद-मंद मुस्काना,
बड़ा मुश्किल था एक पल भी मित्रों के बिन बिताना।।
अतीत हो गया वह गुजरा जमाना,
अध्यापक के सामने बनाते थे अजीब-सा बहाना।।
कभी सिर दर्द तो कभी पेट दर्द का बहाना बनाना,
चोरी-छिपे खेलने जाना।।
बैठकर अपने बड़ों के कंधे पर स्कूल जाना,
अब तो वह बन गया केवल अफसाना।।
कॉफी के पेज फाड़ना,
फिर कागज की नाव बनाना।।
वो दीवारों पर लिखना,
खड़े होकर पहाड़े बोलना।।
कितना प्यारा था बचपन
बैठ चूल्हे के पास जमीन पर खाना खाना,
मिट्टी का घर बनाना
और फिर उनको मिटाना।।
बैठ टीलों पर
आसमान के तारे गिनना,
चांद को चंदा  मामा कहना।।
वो बारिश के दिनों में नहाना,
पानी में घंटों लेट लगाना।।
याद आया वह गुजरा जमाना,
याद आया वह गुजरा जमाना।।

©Shishpal Chauhan #पुरानी_यादें