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ये तेरे कौनसे जख्म है, वो पूछता है "अक्षर' कैसा का

ये तेरे कौनसे जख्म है, वो पूछता है "अक्षर'
कैसा कातिल है , जो दिलसे सोचता है ' अक्षर'

तेरे कातिलो की पहले सफ़ मे ये खड़ा था.. 
अब तू गिर गया है तो, तुझे मेहबूब सा देखता है "अक्षर"

तुझसे लिपटकर रोया, वो कौनसा चेहरा था.. 
इसके नकाब कई है, हर बार पोछता है "अक्षर"

तुझे ऐसी गिरफ्त ओ बंदिशो में छोड़ गया हैं ये.. 
मौत के फरिश्ते बुलाता है और फिर रोकता है "अक्षर"

कैसा कातिल है, जो दिलसे सोचता है "अक्षर" 

#अक्षर #अक्षर
ये तेरे कौनसे जख्म है, वो पूछता है "अक्षर'
कैसा कातिल है , जो दिलसे सोचता है ' अक्षर'

तेरे कातिलो की पहले सफ़ मे ये खड़ा था.. 
अब तू गिर गया है तो, तुझे मेहबूब सा देखता है "अक्षर"

तुझसे लिपटकर रोया, वो कौनसा चेहरा था.. 
इसके नकाब कई है, हर बार पोछता है "अक्षर"

तुझे ऐसी गिरफ्त ओ बंदिशो में छोड़ गया हैं ये.. 
मौत के फरिश्ते बुलाता है और फिर रोकता है "अक्षर"

कैसा कातिल है, जो दिलसे सोचता है "अक्षर" 

#अक्षर #अक्षर