2 Years of Nojoto हां कुछ बदल गया है।, अब वो पहले जैसी बात कहां, रातों के ख़्वाब और दिन के साज कहां, पहले तरसती थी आंखें , दीदार करने को, अब सामने झलक पाकर ही शब्दों की तलवारे खड़े हो जाती है। हा कुछ बदल गया है पहले ख़तों में लिख लिख के दिल के हाल बयां हो जाते थे, कागज़ के ढेर होकर, कलम की दवात ख़तम हो जाती थी अब एक दूजे को सामने पाकर खाना क्या बनेगा पूरे दिन की तकलीफ़ ख़त्म हो जाती है हां कुछ बदल गया है पहले घंटों तक की बातें मिनटों में बीत जाया करती थी, कब चांद डूब कर सूरज सर पर आ गया, नींद पूरी न होने पर भी, ख़ुद में ताज़गी की महक हो उठती थी। अब तो एक मिनट को 10 सेकंड में बदलने में देर ना लगती, और अलार्म की घंटी बज बज कर भी थक कर सो जाती। हां कुछ बदल गया है पहले सख़्त तकिए पर सिर रखते ही तुम्हारे कंधो की आहट लग जाती थी अब पास होकर भी नर्म तकियों की दीवारें खड़ी हो जाती हैं। हां कुछ बदल गया है पहले पूछा करते थे आप कब आयेंगे, तुम कब मिलोगी, तड़प उठा करती थी हमारे जहन में। अब आप ऑफिस से आराम से आयेगा तुम चार महीने को कहीं चली जाओ, हाथ जोड़ निवेदन होती है। हा कुछ बदल सा गया है