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दोष ना दो किसी को जब पेपर होते लीक, यह सब कुछ होत

 दोष ना दो किसी को जब पेपर होते लीक,
यह सब कुछ होता है धन बल पर ठीक।
मेहनत का मोल कहाँ, बिकते हैं अरमान,
सच्चाई की राह में, मिलते हैं बस तूफान।

परीक्षा की सच्चाई को करता है कोई खंडित,
धन की चमक में, खो जाती है प्रतिभा की बंधित।
पढ़ने वालों की मेहनत का यूं ही मजाक बनता,
धनवानों के खेल में, सबकुछ बर्बाद लगता।

न्याय की उम्मीदों पर, जब पड़ता है धक्का,
हर ईमानदार छात्र का, सपना होता चकनाचूर।
बदलना होगा ये हाल, करना होगा प्रयास,
शिक्षा को बचाना होगा, सच्चाई का हो उजास।

दोष ना दो किसी को, मिलकर करो प्रयास,
ईमान की राह पर चलें, यही हो हमारा विश्वास।
नया सवेरा आएगा, जब खत्म होगा ये दौर,
मेहनत का होगा सम्मान, शिक्षा का हो स्वर्णिम भोर।

©Balwant Mehta
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