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धुआं-धुआं ***** देख रहा हूँ, दूर तलक,सब धुंधला, सब

धुआं-धुआं
*****
देख रहा हूँ, दूर तलक,सब धुंधला, सब धुआं धुआं
बुझ गई आशा की लौ,बिखड़ा बस है अब राख यंहा।।

मैं राख में जीवन ढूंढ़ रहा, फिर क्यों आंखों को मुंद रहा?
जो राख हुआ वो खाक हुआ,फिर किन यादों को चूम रहा

ये चक्र समय का घूम रहा,क्यों बोझिल सांसे झूम रहा?
इन सांसों में सन्नाटा है, फिर क्यों बिखरा है मौन यंहा?

इस मौन में कोई शब्द है क्या?इन शब्दों में संगीत है क्या
यह गीत अधूरा सा क्यों है,ये गाने वाला कौन रहा?

जो गाते गाते चले गए,वो प्रीत अधूरा कंहा गया
जो प्रीत अधूरा बिखर गया,क्या जुड़कर फिर होंठ सजा

जो सजा नही वो मिट ही गया,क्या बचा कोई परछाई है
क्यों परछाई को ढूंढ रहे,जीवन अनमिट सी खाई है

इस खाई में है आग भरा, बिखरा यादों का राख पड़ा
ये यादें हैं बस अंध कूप, जंहा सब जलकर है धुआं-धुआं 

दिलीप कुमार खां"""अनपढ़"" #धुआँ धुआँ
धुआं-धुआं
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देख रहा हूँ, दूर तलक,सब धुंधला, सब धुआं धुआं
बुझ गई आशा की लौ,बिखड़ा बस है अब राख यंहा।।

मैं राख में जीवन ढूंढ़ रहा, फिर क्यों आंखों को मुंद रहा?
जो राख हुआ वो खाक हुआ,फिर किन यादों को चूम रहा

ये चक्र समय का घूम रहा,क्यों बोझिल सांसे झूम रहा?
इन सांसों में सन्नाटा है, फिर क्यों बिखरा है मौन यंहा?

इस मौन में कोई शब्द है क्या?इन शब्दों में संगीत है क्या
यह गीत अधूरा सा क्यों है,ये गाने वाला कौन रहा?

जो गाते गाते चले गए,वो प्रीत अधूरा कंहा गया
जो प्रीत अधूरा बिखर गया,क्या जुड़कर फिर होंठ सजा

जो सजा नही वो मिट ही गया,क्या बचा कोई परछाई है
क्यों परछाई को ढूंढ रहे,जीवन अनमिट सी खाई है

इस खाई में है आग भरा, बिखरा यादों का राख पड़ा
ये यादें हैं बस अंध कूप, जंहा सब जलकर है धुआं-धुआं 

दिलीप कुमार खां"""अनपढ़"" #धुआँ धुआँ