फ़िर एक कली खिलने से पहले मुरझा गई, कुछ भवरो ने छेरा उसे, और वो बिखर कर टूट गई। मासूम सी कली थी, भँवरा पीछे पर गया, कलयुग के इस दौर में, फिर कोई मासूम दरिंदों के सिकंजे में फँस गया, गलती उसी की थी ना, जो लड़की बन जन्म ले लिया, दिन दहाड़े ही लुट गई ईज्ज़त उसकी,