Nojoto: Largest Storytelling Platform

कोई नहीं अपना जिसे मैं कभी अपने दर्द सुना सकूं, मि

कोई नहीं अपना जिसे मैं कभी अपने दर्द सुना सकूं,
मिलता है सुकून इस बात से कि बस मैं ही अब तन्हा।
नहीं पड़ना उन बेकार के जमेलों में जो मैं सह ना पाऊं,
रहना है बस ख़ुद के साथ बनकर ख़ुद का ही हर लम्हा। सुकून इस बात का है...

बहुत कुछ कहना है पर मैं किसको कहूं,
सहता हूं हर दर्द को मैं बस रहकर अकेला।
काश! कोई मिल जाएं जिसको मैं अपना कहूं,
थक गया हूं कि हो सिर्फ़ ख़ुशियों सुकून का मेला।
कोई नहीं अपना जिसे मैं कभी अपने दर्द सुना सकूं,
मिलता है सुकून इस बात से कि बस मैं ही अब तन्हा।
नहीं पड़ना उन बेकार के जमेलों में जो मैं सह ना पाऊं,
रहना है बस ख़ुद के साथ बनकर ख़ुद का ही हर लम्हा। सुकून इस बात का है...

बहुत कुछ कहना है पर मैं किसको कहूं,
सहता हूं हर दर्द को मैं बस रहकर अकेला।
काश! कोई मिल जाएं जिसको मैं अपना कहूं,
थक गया हूं कि हो सिर्फ़ ख़ुशियों सुकून का मेला।