एक सम्मान उसे जिससे रिश्ता रहा हमारा सुबह के अभिवादन का चैत की दोपहरी मे एक ग्लास पानी पिलाने का चेहरे उदासी क़ो पहली नजर मे पढ़ लेने का चौक डस्टर या फिर जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का थे उनसे हमारे भी वादे सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का हम उऋण नहीं हुए हो भी नहीं सकते कर्ज से लेकिन एक फर्ज तो बनता था सो रत्ती भर सही निभाया हां बस निभाया ©ranjit Kumar rathour एक ग्लास पानी