ग़ज़ल जो वर्षों की मेहनत की उस मेहनत का क्या? जो अदायगी-ए-कीमत की उस कीमत का क्या? हुक़ूमत वालो ने तो हुक्म चला दिया अपना मगर, जो अहमियत-ए-चरसाजी थी उस अहमियत का क्या? माना कि हकीमों की बेहद कमी थी इस शहर में, मगर पहले से बीमार इस शहर की सेहत का क्या? अब तो झोलाछापों की फौज तैयार होगी जनाब, तो करा लेना इनसे इलाज हमारी जरूरत का क्या? रातों रात की तरक्की हमने अपने चिकित्सा जगत में, होगी जो दुनियाभर में फजीहत उस फजीहत का क्या? यहां की आवाम बेहद अनपढ़ है मुफलिस है राही, अब जो होगी इन्हे दिक्कत उस दिक्कत का क्या? #nmcbill #saynotonmcbill