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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।

कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।

मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।

अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।

मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।

अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।