कहाँ कहाँ खोये कविवर कभी तरुवर की छाँव तो कहिये केहि मंछोदरी की नाव में स्वप्न कौन से हैं वो निराले जिनसे कविता बुन ने में खोये हो ब्रह्मा ने ये सृष्टि संजोयी तुम गीत संजोये रहते हों कहाँ कहाँ खोये हो कविवर इन गीतों की खोज में.... #कविवर दर्शन दे दो -dada_ki_pagli Dedicating a #testimonial to Sandeep Pant