ख़्वाबों को थोड़ा बदलना होगा, ऐ मेरे चाहने वालों अब मुझे मरना होगा, ख्वाहिशों का गला घोटना होगा, ज़िम्मेदारियों के बोझ नीचे मुझे भी अब दबना होगा, दिल सहम जाएं रूह भी कॉप उठे, पर कदम एक मज़बूरी का चलना होगा, जिसने दिया सब कुछ मुझे, उसके ख़्वाबों को भी राहों तक लाना होगा, मैं मुसाफिर बना हूं तो, फिर एक द़फा मुझे लौट कर यहीं आना होगा। ख़्वाबों को थोड़ा बदलना होगा, ऐ मेरे चाहने वालों अब मुझे मरना होगा, ख्वाहिशों का गला घोटना होगा, ज़िम्मेदारियों के बोझ नीचे मुझे भी अब दबना होगा, दिल सहम जाएं रूह भी कॉप उठे, पर कदम एक मज़बूरी का चलना होगा,