छुप के बैठा है वो इन दिनों सामने नहीं आता कोई तो गुनाह किया है उसने जो किसी से नजरें मिला नहीं पाता या ख़ुद से हारा बैठा है कहीं जानें किस जद्दोजहद को जीत नहीं पाता छुप के बैठा है वो... हर राह तलाश कर भी ख़ुद को तराश नहीं पाता चांदनी रातों में भी तन्हा है कहीं गुज़रता है हर आशियानें से किसी शब फज्र तक उसकी दस्तक कोई सुन नहीं पाता छुप के बैठा है वो वक्त की चाल समझता है वो फिलहाल वक्त से चाल मिला नहीं पाता| छुप के बैठा है वो इन दिनों सामने नहीं आता कोई तो #गुनाह किया है उसने जो किसी से नजरें मिला नहीं पाता या #ख़ुद से हारा बैठा है कहीं जानें किस जद्दोजहद को जीत नहीं पाता छुप के बैठा है वो... हर राह तलाश कर भी