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एक स्थान जहाँ मिलता है मुझको पूरा सुख। पूजा करके ब

एक स्थान जहाँ मिलता है मुझको पूरा सुख।
पूजा करके बात करूं मैं बैठ प्रभु के संमुख।।

मेरे मन की व्यथा तुम जानो पालनहार।
मुझको राह दिखा के कर दो मेरी चिंता का संघार।।

विवाह प्रश्न से हो जाती हूं मै तो व्याकुल।
आप स्वयं ही मुझे बताये वो माही है या प्रफुल्ल।।

बात यदि मैं करू माही की तो बात है केवल इतनी।
तीन  वर्ष तक साथ पढा है और चाय पिलाई बस इतनी।।

किन्तु प्रयास क्या उसके कहते ये भी तो सुन लीजे।
करे निरंतर ऐसी बाते जो मुझको खुश ना कीजे।।

अपमानित शैली का करता है वो हरदम प्रयोग।
कितना छल वो दिखलाता बस लगता करने को सम्भोग।।

बात यदि मैं करू प्रफुल्ल की तो कुछ उसमे भी है खोट।
कभी कभी वो भी मुझको दिलाता है क्रोध।।
 Ankurit ke mann ke vichar part 1
एक स्थान जहाँ मिलता है मुझको पूरा सुख।
पूजा करके बात करूं मैं बैठ प्रभु के संमुख।।

मेरे मन की व्यथा तुम जानो पालनहार।
मुझको राह दिखा के कर दो मेरी चिंता का संघार।।

विवाह प्रश्न से हो जाती हूं मै तो व्याकुल।
आप स्वयं ही मुझे बताये वो माही है या प्रफुल्ल।।

बात यदि मैं करू माही की तो बात है केवल इतनी।
तीन  वर्ष तक साथ पढा है और चाय पिलाई बस इतनी।।

किन्तु प्रयास क्या उसके कहते ये भी तो सुन लीजे।
करे निरंतर ऐसी बाते जो मुझको खुश ना कीजे।।

अपमानित शैली का करता है वो हरदम प्रयोग।
कितना छल वो दिखलाता बस लगता करने को सम्भोग।।

बात यदि मैं करू प्रफुल्ल की तो कुछ उसमे भी है खोट।
कभी कभी वो भी मुझको दिलाता है क्रोध।।
 Ankurit ke mann ke vichar part 1