शीर्षक - "कृषक"। खेती बाड़ी,प्रकृति व प्राणी, यही जिसका कूल है। भूख मिटाता ओरो की जो, वो कृषक पूजन तुल्य है। खून पसीने से लथपथ वो, काटो में पुष्प खिलाता है, पहाड़ों पर पथ बनाके, ओरो को सुख दे जाता है। क्यों रोता है दो धार आंसू, है ईश्वर,हुई क्या उससे भूल है। जो उच्च वर्ग को जीवन देता, क्यों जीवन ही उससे दूर है? अब रहे सब,ख्वाब अधूरे, अब उसको चड़ा एक हुरुर है। फरियाद होगी समक्ष तेरे, वो दिन भी ज्यादा ना दूर है। कृषक चकना चूर है। कृषक चकना चूर है।। ©Navin Charpota #farmersprotest #farmer #Kisandiwas #Banswarabolg #Banswara #deedaarealfa #jai #Flower