काश! एक ज़हां ऐसा भी होता दुनियां में ना जाने कितने गम है कि अब किसी को क्या बताएं, रोज़ कहीं होता किसी का बलात्कार तो किसी की हत्या कि क्या सुनाएं। ना कहीं सुकून मिलता है और ना ही कहीं मिलता किसी को आराम है, रहते है सब लोग पैसे कमाने की होड़ में कि खुशियां अलविदा सी होने लगी है। जब कोई इन्सान किसी से प्यार करता है तो वो प्यार भी मतलबी और फरेबी निकलता है, प्यार जैसे पवित्र शब्द को भी इन्सान ने अपनी हवस का एक जरिया बना दिया है। अरे! तुम क्या जानो कि किसी की ज़िंदगी से खेलना कितना बड़ा पाप माना जाता है,