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'मां मेरा दिल उमड़ रहा है' मां मेरा दिल उमड़ रहा

'मां मेरा दिल उमड़ रहा है'

मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को,
मुझे पता है तू भी बुला रही है मुझे अपने ह्रदय से लगाने को।

पर पता न जाने क्यूं मेरे कदम रुक जाते हैं,
पूंछू जो वजह इनसे रुकने की,तो ये बता ना पाते हैं।

हे मां मेरी ,मेरी अर्जी है तेरे चरणों में, कोई कर तो ऐसा उपाय।
कदम न रुकें मेरे रोकने से भी,जाऊं तेरी भक्ती में इस कदर समाय।

आज तेरे आशीर्वाद से सब कुछ है मेरे पास,तेरी मूर्ति भी,
पर वो शुकून नहीं जो कभी तेरे पास बैठ कर लिया करता था।

तू सुनती थी मेरी बताई हर बात को,
 मैं सुन तेरी हर बात ,एक खूबसूरत जिंदगी जी लिया करता था।

फिर एक दिन जा न जाने किसकी नजर लग गई मेरी भक्ति को,
 तू रूठी देखी मैंने अपने सपनों में,फिर भी न आ सका तुझे मैं मनाने को।

मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को,
मुझे पता है तू भी बुला रही है,मुझे अपने ह्रदय से लगाने को।

अपनी छत पर बैठा हूं देख रहा हुं होते हुए तेरा कीर्तन,
हालांकि मेरा तन यहीं पर है,पहुंच चुका है दरबार तेरे मेरा मन।

जलती हुई ज्योति ने जगमगाया तेरा दरबार है,
भक्त तेरे मना रहे तुझे, कर तेरे नाम की पुकार है।

बच्चे हो रहे बेसब्र,तेरा नाम का प्रसाद खाने को।
मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को,
मुझे पता है तू भी बुला रही है मुझे अपने ह्रदय से लगाने को।

©Ravindra Singh मां मेरा दिल उमड़ रहा है..

#Navraatra
'मां मेरा दिल उमड़ रहा है'

मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को,
मुझे पता है तू भी बुला रही है मुझे अपने ह्रदय से लगाने को।

पर पता न जाने क्यूं मेरे कदम रुक जाते हैं,
पूंछू जो वजह इनसे रुकने की,तो ये बता ना पाते हैं।

हे मां मेरी ,मेरी अर्जी है तेरे चरणों में, कोई कर तो ऐसा उपाय।
कदम न रुकें मेरे रोकने से भी,जाऊं तेरी भक्ती में इस कदर समाय।

आज तेरे आशीर्वाद से सब कुछ है मेरे पास,तेरी मूर्ति भी,
पर वो शुकून नहीं जो कभी तेरे पास बैठ कर लिया करता था।

तू सुनती थी मेरी बताई हर बात को,
 मैं सुन तेरी हर बात ,एक खूबसूरत जिंदगी जी लिया करता था।

फिर एक दिन जा न जाने किसकी नजर लग गई मेरी भक्ति को,
 तू रूठी देखी मैंने अपने सपनों में,फिर भी न आ सका तुझे मैं मनाने को।

मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को,
मुझे पता है तू भी बुला रही है,मुझे अपने ह्रदय से लगाने को।

अपनी छत पर बैठा हूं देख रहा हुं होते हुए तेरा कीर्तन,
हालांकि मेरा तन यहीं पर है,पहुंच चुका है दरबार तेरे मेरा मन।

जलती हुई ज्योति ने जगमगाया तेरा दरबार है,
भक्त तेरे मना रहे तुझे, कर तेरे नाम की पुकार है।

बच्चे हो रहे बेसब्र,तेरा नाम का प्रसाद खाने को।
मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को,
मुझे पता है तू भी बुला रही है मुझे अपने ह्रदय से लगाने को।

©Ravindra Singh मां मेरा दिल उमड़ रहा है..

#Navraatra