यादे अब तुम्हारी है, और दर्द हमारा है। चेहरे पर ना इतराओ,आईना हमारा है। उम्र भर तो कोई भी,साथ दे नही सकता, वो भी छूट जायेगा,तजुर्बा हमारा है। ओ जाने जाना तुम,ठोकर खा कर मानोगी, पहला वार तुमने कर दिया,दूसरा हमारा है। बैठी हो झरोखे में,शाम का किनारा है। अब खुद के ही उतर जाओ,ये चाँद भी हमारा है। नशे में झूम रही थी,ज़िन्दगी कोई शायद, अबके फिर हवाओँ में,क्या दुप्पटा तुम्हारा है। बेदर्द हवाओँ में,ये उड़ना हमारा है। इनके पैरहन की भी, ये काफिया हमारा है। तू गिरेगी ए लड़की,अब कहा-कहा देखे, शाक शाक पर भी,आशियाना हमारा है। -#प्रवीण #प्रवीण