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ये बुढ़ापा, हरारत, तुम्हारे लिए। इश्क की ये शरारत


ये बुढ़ापा, हरारत, तुम्हारे लिए।
इश्क की ये शरारत, तुम्हारे लिए।
तू मेरी प्रार्थना, पूजा, व्रत है तू ही,
उम्र भर की ये चाहत, तुम्हारे लिए।

©Pradeep Sharma
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