Fate change when, उम्र उम्र जिन्दगी का तकाजा है। हर दिन ढलती जाती है, जिन्दगी में हम आगे बढ़ते है पर उम्र फिसलती जाती है। हंसता गाता बचपन निकाल जाता है। फिर आता है यौवन,जो कि जिम्मेदारियों के बोझ से दब जाता है। अन्तिम पड़ाव में बुढ़ापा बीमारियों की दस्तक देता है। बस इस जिन्दगी के इसी खेल में उम्र फिसलती जाती है। रेत का घरौंदा है यह उम्र। कब किसी का पांव पड़े और घरौंदा बिखर जाता है। जब घरौंदा टूटने वाला है तो क्यों ना इसे खुशियों से भर ले। जितनी भी उम्र है बस हंस के जी ले। क्योंकि उम्र जिन्दगी का तकाजा है हाथ से फिसलती जाएंगी। कविता मोदानी विनय इंटरनेशनल स्कूल #fate