तु चले तेरी ओर मे दुनिया की ओर मे..... तेरी मेरी कैसी ये दुरी तु कहा मे तो तेरी रहा मे डुबा..... तुझे चांद कहु या अलग ही नाम दु..... बादल अपनी ओर ओढ ले खुशीयों की तरंग मे..... तेरे साथ ही रहे यह चांद तारे..... तेरी मेरी यह दुरी थोडी देर कि तु वहा दिखे मै कही...... अलग ही अंदाजा तेरा नींद चुलाली सुबह की...... खत लिख दु तेरे लिए गोंद की गोल को..... रात मे तुझसे जुडे सपनें चंदर ओढ के.... पहचान अलग ही तेरी , तेरी जगह ना खाली..... सुरज ने सुबह सुबह करली चोरी....... तु आये कहा से जाये कहा कुछ ना पता तेरा.... तेरी मेरी दुरी यह एक रोज की कहाणी..... ढुंढता तुझे बादलों मे , झुपा आसमान की गोद मे.... संभाल कर रखना चांद को कहीं सो ना जाये..... तारों के साथ सफेद धब्बा दिखे बच्चो को.... मांगे खाने को..... तेरी मेरी यह दुरी तो नहीं लुकाझुपीका खेल समझना..... ना मिला मै कभी तो तेरी जगह ना छोडना....... सपनें में आए चांद तु कहा भागे चला गया... सुरज आया माथे , तु गया कहा...... एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से। #येदूरी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #चांद_और_मैं #yqquotes