तू रणभूमि में खड़ा रक्षक है, मेरा प्रहरी, शत्रु भक्षक है, नतमस्तक हो शीश झुकाऊं, मैं एक दीप तेरे नाम का जलाऊं , तू चल रहा, हल सा खेत में, या बैठा ले दीपक वृद्धा के भेष में, ना हूं संतान तेरी, फिर भी तुझ में मिल जाऊं,