अधूरी बातें बातें आज कल बहुत अधूरी सी रहने लगी हैं, ना जाने ये मोहब्बत अब कोनसा मोड़ लेने लगी हैं। शिकायतें मेरी उनसे एक भी ना कल तक रहीं हैं, पर शायद अब उनके अरमानोंमें कमी सी रहने लगी हैं। तुम अब हमें अपनी खुशीमें शामिल नहीं किया करते हैं, पर उसके गमोंमें रो सके उतनी जगह दे दिया करती हैं। बातें आज कल बहुत अधुरी सी रहने लगी हैं, शायद अब उनको मेरी जरूरत थोड़ी कम सी होने लगी हैं।